मुम्बई में बेघर लोग

मुम्बई में बेघर लोग

भारत के महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुंम्बई में 57415 से ज्यादा लोग बेघर है 2011 की जनगड़ना के अनुसार

लेकिन बीएमसी के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार महाराष्ट्र में कुल 21000 लोग बेघर है जिनमे से  11,915 लोग मुम्बई में है।

यह आंकड़ा चौकाने वाला है क्यूँ की 2011 की जनगड़ना के आँकड़े और बीऍमसी के आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर था।

बीऍमसी के द्वारा जारी किये गए आँकड़े सत्यता पर खरे नही उतरते बल्कि  2011 की जनगणना के अनुसार, मुंबई में 57,415 से अधिक बेघर लोग हैं, लेकिन ये भी वास्तविक आंकड़ा कई गुना अधिक हो सकता है। इन बेघर लोगों के लिए, प्रत्येक दिन पहचान, नागरिकता और सम्मान के लिए संघर्ष है।और रात? झुलसने वाले वाहनों और टिमटिमाती स्ट्रीटलाइट्स के बीच बस एक लंबा इंतजार है। 

काम धंधे

सड़को पर ज्यादा तर रहने वाले लोग चोर, भिखारी, नशा करने वाले और दुराचारी हैं, बेघर मुंबई की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से गहराई से बंधे हैं। सस्ते श्रम के रूप में यह उनका योगदान है जो शहर को बनाता है।

अधिकांश महिलाऐ लोगो के घरो में साफ सफाई, रसोइयों और अपशिष्ट बीनने का काम करती है, जो प्रति दिन 60 से 70 रु. की कमाई करते हैं। पुरुष निर्माण श्रमिकों, दुकानों और गैरेज में सहायकों, संविदात्मक रूढ़िवादी श्रमिकों या अपशिष्ट रीसाइक्लिंग उद्योग में काम करते हैं। उनका काम काफी हद तक अनौपचारिक, अनियमित और मौसमी है, जिसमें नियत दैनिक आय का कोई आश्वासन नहीं है और आपात स्थिति के लिए बचत करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मानसून का मौसम सबसे खराब होता है। लगभग कोई काम नहीं और बचत के साथ, कई परिवार दिनों के लिए पर्याप्त रूप से नहीं खाते हैं। औसतन, दो कमाने वाले सदस्यों के साथ एक बेघर परिवार रोजाना लगभग 150 रुपये कमाता है – बमुश्किल ही पूरा होता है।

ताजा स्थिति

होमलेस कलेक्टिव के बृजेश आर्य ने एक प्रमुख दैनिक में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जैसा कि 2011 की जनगणना और नवीनतम सर्वेक्षण में बेघर लोगों की संख्या में बहुत अंतर है। उन्होंने 

यह भी कहा कि यह सर्वेक्षण उस तरह से नहीं किया जा सकता है जिस तरह से होना चाहिए था। उन्हें सरकार के साथ चर्चा करने की जरूरत है। उनका एकमात्र उद्देश्य बेघर लोगों को आश्रय देना है और ये संख्याएँ बेघर लोगों की सटीक जानकारी के लिए उपयोगी हैं।

Supadhyay

सब्र रख ये दोस्त

सब्र रख ऐ दोस्त वक्त आयेगा तो हम भी आसमाँ मे उड़ना सीख लेगे,
अभी गिर रहे है तो क्या हुआ गिरते-गिरते सम्हलना सीख लेगे,
ले आये जिन्दगी अगर चौराहे पर और खो जाये मंजिले तो गम क्या करे,
हम भी वक्त बे वक्त पर अपने रास्ते बदलना सीख लेगे ।
लोगो की भागदौड़ मे हमे सरकता देखकर वो मजाक उड़ा रहे है मेरा,
कोई बताओ उन्हे सरकते सरकते हम भी चलना सीख लेगे ।
अगर बदलकर मिजाज वो रइसो के महफिल मे जा पहुंचे,
हम भी मिटा कर नाज अपना गरीबो मे रहना
सीख लेगे ।

हर किसी को चाहनें वाले मिले

हर किसी को चाहने वाले मिले,

मगर हम को भाव खाने वाले मिले।

जरूरत के वक्त हम याद आयें ,

जरूरत के बाद भूल जाने वाले मिले।

जोकर का मुखौटा तो सच्चा था ,

यहां चेहरे के पीछे चेहरा छिपाने वाले मिले ।

भरोसा उम्मीद यकीन सब तोड़ते रहे ,

मुझे जो भी मिले दिल दुखाने वाले मिले ।


हर किसी को चाहने वाले मिले,

हर किसी को चाहने वाले मिले,

मगर हम को भाव खाने वाले मिले।

जरूरत के वक्त हम याद आयें,

जरूरत के बाद भूल जाने वाले मिले।

जोकर का मुखौटा तो सच्चा था,

यहां चेहरे के पीछे चेहरा छिपाने वाले मिले।

भरोसा उम्मीद यकीन सब तोड़ते रहे,

मुझे जो भी मिले दिल दुखाने वाले मिले….।

S उपाध्याय


सब्र रख ऐ दोस्त

सब्र रख ऐ दोस्त वक्त आयेगा तो हम भी आसमाँ मे उड़ना सीख लेगे,
अभी गिर रहे है तो क्या हुआ गिरते-गिरते सम्हलना सीख लेगे,
ले आये जिन्दगी अगर चौराहे पर और खो जाये मंजिले तो गम क्या करे,
हमभी वक्त बे वक्त पर अपने रास्ते बदलना सीख लेगे।
लोगो की भागदौड़ मे हमे सरकता देखकर वो मजाक उड़ा रहे है मेरा,
कोई बताओ उन्हे सरकते सरकते हम भी चलना सीख लेगे ।
अगर बदलकर मिजाज वो रइसो के महफिल मे जा पहुंचे,
हम भी मिटा कर नाज अपना गरीबो मे रहना
सीख लेगे …।।।

S उपाध्याय

हारा हूँ

कभी नफरत से कभी दोस्ती से कभी प्यार से हारा हूँ,
मगर जब भी हारा हूँ बड़े हिसाब से हारा हूं,
मै काटो से नही हारा मुझे कलियां जख्म दे गयी,
जो फूल लगाई दिल मे उस गुलाब हारा हूँ.
फर्क कुछ नही पड़ा उसे मेरे न होने का,
मै तो उसके दूर जाने वाले ख्वाब से हारा हूँ.
कमीनी ये दूनिया के मुखौटे बहुत निकले,
वही चेहरे पर न दिखने वाले नकाब से हारा हूँ.
आज, कल, परसो सुन कर ही बीत गये दिन,
उसके लौट कर आने के इन्तजार से हारा हूँ.
अब कुछ नही बचा “सुशील, याद के सिवा,
जीत जीत कर हारा हार हार कर हारा हूँ…!!

हारा हूँ

Healthy Weeknight Meals

Cooking can sometimes feel like a chore at the end of a busy day. It’s often tempting to throw a ready meal in the oven or call for take out. But preparing a simple and healthy family meal doesn’t have to be hard or time-consuming. Here are some quick wholesome dishes that you and your family will love. They can even be prepared in advance.