आख़िर सफ़र लिख रहा हूँ hindi poetry

घनघोर अधिंयारी को आखरी पहर लिख रहा हूं.
जो पूरे शहर को जगा दे वो खबर लिख रहा हूँ.

बहुत रोया हूं मै आज बीती बातें सोचकर,
इन बहते आसूंओ को तेरा जहर लिख रहा हूँ.


यूं तो मुद्दतो से सोया नही हूँ मै,
पर सपनो मे खोया एक नजर लिख रहा हूँ.


न जाने क्यू जन्नत सी लगने लगी कब्रिस्तान की आबोहवा,
शायद मै अपना आखरी सफर लिख रहा हूँ.

शायद मै अपना आखरी सफर लिख रहा हूँ..!!!

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